मनाली से दस किमी आगे सोलंग वैली में अपने रुम से बापस मनाली आया तो सुवह की ठंड से कंपकपी छूट गयी । लेकिन अब जैसे ही सूरज चाचा प्रकट हुये वही धौलपुर बाली गर्मी शुरू । ठंड का असली आनंद तो रोहतांग में ही मिलेगा। वाईक अपने होटल पर खडी कर टैक्सी हायर करके जा रहा हूं। शाम तक लौट कर बापस होटल ही आना है। जब मनाली तक आये हैं रोहतांग छोडना कोई बुद्धिमानी का कार्य नहीं था। वाइक की परमीशन न मिल पाने और पार्टनर का आगे जाने में असहमति होने के कारण यहीं से बापस लौटने का निश्चय किया था। इसलिये रोहतांग तक के लिये एक कार हायर कर ली। मनाली से यदि आप सुवह छ बजे ही टैक्सी ले लेंगे तो पांच हजार में आल्टो कार ( चार सवारी ) मिल जायेगी । अगर आपने थोडी भी देर करी तो किराया बढता जायेगा और आठ दस हजार में करनी पडेगी। हम दो थे इसलिये कार के लिये हमें दो की और आवश्यकता थी। तभी माल रोड पर हमारा परिचय एक नवविवाहिता जोडा से हुआ और हम रोहतांग के लिये साथ साथ चल पडे। कार हायर कर मनाली से रोहतांग के लिये निकल पडे। कुछ किमी ऊपर चडने के बाद एक बडा खूवसूरत रहला चश्मा नजर पडा। खूबसूरत पहाडियां के बीच इस चश्मा का पानी बेहद ठंडा और एकदम साफ था। काफी देर मौज मस्ती करते रहे और फिर चल पडे। मनाली निकलते ही खडी चडाई शुरु हो जाती है।
वर्फ पर खेलते समय इतना ध्यान रखना है कि कपडों के अदंर न जाय वरना बीमार कर देगी। कपडे भी वाटरप्रूफ होने चाहिये। माल रोड मनाली के साईड में बहुत बडा मार्केट है। जम कर सौदेबाजी कीजिये। हजार रुपये की जगह दो हजार मांगते हैं ये लोग। थोडी देर इधर उधर ट्राई करोगे तो पांच सौ की भी जैकेट मिल सकती है।रोहतांग की बाइक परमीशन न होने और दोनों में सहमति न बन पाने के कारण रोहतांग के लिये कार हायर करने का फैसला कर लिया। सुवह ही सुवह मनाली के माल रोड पर ड्राईवरों से मोलभाव कर रहे थे कि एक नवदंपति भी हमारी टीम में शामिल हो गया। कार ड्राईवर नीरज शर्मा बहुत ही शांत संजीदा एवं सहनशील उच्च शिक्षित अनुभवी युवक था जिसने मुझे रोहतांग के पूरे रास्ते लेह लद्दाख मार्ग की जानकारी दी क्यूं कि वो अब तक सैकडों बार लेह लद्दाख जा चुका था। मैं बार बार उसके व्यवहार और ज्ञान की तारीफ कर रहा था। एक बार तो मैंने उससे पूछ ही लिया,
" भैया आपको कभी गुस्सा नहीं आता ? अतिंम बार आप कब गुस्सा हुये थे ?"
वो बिना कोई जबाब दिये बस मुस्कुरा दिया।
मनाली शहर की भीडभाड पार करते ही वो गजब का नजारा आता है कि दिल ठहर जाता है। एक तरफ व्यास नदी की गहरी खाई और दूजी तरफ सीधी सीधी चडाई। ठंडी ठंडी हवा। दूर पहाडों पर फैली हुई वर्फ की सफेद चादर और बीच बीच में बहते हुये ठंडे पानी के झरने और उन पर बने हुये हाइड्रल पावर प्लांट। जैसे जैसे रोहतांग के नजदीक पहुंचते जांय रास्ता खराब होता जाय। रपटनी उखडी हुई गिट्टी की गीली फिसलती संकरी रोड और सामने से तेजी से आते हुये वाहन अच्छे खासे के मन में झुरझुरी सी पैदा कर दें।
रोहतांग से कुछ किमी पहले ही हमारी गाडी का परमिट चैक हुआ । जिन पर नहीं था उन्हें वहीं से बापस भी कर दिया। बहुत सारे बाईकर्स मनाली से इनफील्ड बुलेट उठाते हैं और रोहतांग केलांग एवं लेह तक की यात्रा करते हैं। पंजाबी लडकों की भरमार थी। खालसा का झंडा लगाये पगडी पहने गबरु जबान जट्ट बुलेट लेकर हमारी कार के आगे आगे रोहतांग की तरफ दौडे जा रहे थे। मन तो कर रहा था कि संजू को कार में ही छोडकर सरदारजी के साथ हो लूं पर बाद में ये कमीना मेरी क्या हालत करेगा सोच कर ही थम गया।
थोडा ही आगे जाकर एक और चौकी पडी। फिर से परमीशन चैक हुई। एक और खतरनाक मोड लेकर जैसे ही बहुत ऊंची चडान पर चडे तो निगाह पडी पैराग्लाईडिगं की उडान भरते युवकों पर। बाप रे बाप ! इतनी गहरी खाई ! कार में से नीचे झांका तो दिल धक्क से रह गया । ये नवयुवकों का क्या हाल हुआ होगा। एकाध तो शौचात्यि से वहीं निवृत हो लिया होगा डर के मारे।
वर्फ की चादर नजदीक आ चली थी और हम समझ गये कि रोहतांग दर्रा आने बाला है। शीघ्र ही हम एक चौडे से वर्फीले मैदान के पास पहुंच गये। यही रोहतांग था। रास्ता वर्फ को काटता हुआ आगे केलांग और लेह लद्दाख के लिये निकल गया। मैं बहुत देर तक हसरतभरी निगाहों से उस वर्फ कटे रास्ते को देखता रहा । काश मैं भी जा पाता ! खैर हर चीज का समय मुकर्रर किया हुआ है मालिक ने। बाबूजी कहते हैं कि समय से पहले और समय के बाद कुछ नहीं मिलता। उसकी इच्छा के बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता फिर हम क्या हैं। वर्फ कम ही थी इसलिये मैंने कोई खास इंजाय नही किया। संजू और उस नवदंपति को वर्फ में लोटते पीटते बंदर की तरह गुलाटियां खाते देखता रहा। मैं गुलमर्ग और सोनमर्ग में वर्फ के सागर में गोते लगा कर आया था तो उस तालाब में नहाने में क्या मजा आता पर दोस्तों का साथ तो देना ही था। मैं तो बस उस पहाडी के पार उस लेह मार्ग को ही घूरे जा रहा था पर कहते हैं न उसके यहां देर है अंधेर नहीं। काश्मीर में मुझे स्नो फाल का अनुभव नहीं हो पाया था वो कमी यहां पूरी हो गयी। अचानक से धूप गायब हो गयी। कारे कारे बदरा घिर आये। आसमान से रूई जैसी नीचे गिरने लगी। पहली बार बिना गीले हुये वर्षा में नहाने का आनंद ले रहा था। ठंडी हवा का झौंका और छोटे छोटे ओलेनुमा वर्फ के कण शरीर से टकराने लगे। मामला ज्यादा बिगडता दिखा तो कार में बैठे और मनाली की तरफ निकल लिये।
सोलंग वैली तक पूरे सफर में हम गुनगुनाते हंसते मुस्कुराते मस्ती करते चले आये। किसी से किसी की कोई लडाई नहीं हुयी। पर जैसे ही नवदंपति ने किराये बाले गर्म कपडे लौटाये उनका मोबाईल गुम हो गया। ड्राईवर पर जैसे ही आरोप लगा शांत और सहिष्णु ड्राईवर असहिष्णु हो गया। हमने बीच बचाव न किया होता तो सबकी सारी रात थाने में ही कटती।
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