Jaatland journey: दिल्ली से झज्जर भिवानी झुंझनू ।
चूंकि मुझे झज्जर के किसानों से मिलना था, पता चला कि गुरुकुल के नजदीक ही चाहर गोत्र के सोलह गांवो की एक खाप है जिसके प्रधान ठाकुर रिसपाल सिंह जी हैं, मिलने के लिये सिलानी गांव चला गया।
आमिर खान के ' सत्यमेव जयते' में हरियाणा की खाप पंचायतों एवं कन्या भ्रूण हत्या को मुद्दा बनाया गया था, इसलिये हरियाणे की यात्रा में मेरा भी विशेष ध्यान इन्ही दो मुद्दों पर रहा। मीडिया के आकणों से परे बास्तविकता कुछ और ही पायी। झज्जर के नजदीक सिलानी गांव चाहरों की खाप का प्रधान गांव है, जिसके प्रधान रिषपाल सिंह एवं पूर्व सरपंच श्री जगदीश जी के अलावा बहुत सारे अन्य लोगों से भी मिला। सेना के एक दो पूर्व अधिकारियों से भी बात हुई। खाप के कोई भी निर्णय अकेले प्रधान की मर्जी से नहीं बल्कि सैकडों लोगों की राय मशविरे पर आधारित होते है। ग्राम पंचायत स्तर पर यह सबसे छोटा सामाजिक न्यायालय होता है जिसका निर्णय समाज के नियमों पर आधारित होता है जिससे असहमत होने पर कोई भी पीडित उच्च न्यायालयों में जा सकता है।
जहां तक बात कन्या भ्रूण हत्या की है, राजस्थान और हरियाणा अब तक इस मामले में अगृणी रहे हैं लेकिन मैंने तो बच्चियों को बदतर स्थिति में नहीं पाया। शायद ही कोई गांव मिला हो जहां बच्चियों का स्कूल न हो, सैलाना में मुझे सैकडों बच्चियां स्कूल जाती मिलीं। भिवानी के गांव गांव बलाली कलाली जहां कि फौगाट बहनों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का मान बढाया है, में मुझे हर लडकी पहलवानी ही करती नजर आयी, भले ही महावीर पहलवान को बच्चियों को पहलवान बनने के लिये फोर्स करते दिखाया हो, सच तो यह है कि भिवानी जिले के हर लडके लडकी के खून में स्पोर्टस में जाने की इच्छा समाहित है। फौगाट के अलावा भी सैकडों अन्य लडकियां मुझे स्पोर्ट्स में मेहनत करती नजर आयी। जाट बाहुल्य इलाके में पहलवानी और गेम्स के प्रति रुचि विरासत में मिलती है। धीरे धीरे वो खुद की भी इच्छा बन जाती है।
हरियाणे का हुक्का सामाजिक बैठक का एक प्रतीक है, जहां लोग इकट्ठे बैठकर अपनी बातों को शेयर करते हैं। बुजुर्गों के हिसाब से तो यह एकदम ठीक ही लगा क्यूं कि शहरों में मैंने बुजुर्गों को अकेलेपन में घुटते देखा है। हालांकि अब वो बाला हरियाणा तो नहीं रहा , इन्टरनैट और मोबाईल्स की दुनियां में खो जाने बाले युवकों ने सामाजिक बैठकों की तरफ बेरुखी दिखाना शुरू कर दिया है।
सिलानी गांव में चाहरवाटी हुक्का खींचने और अपने गोती भाईयों से बहुत सारे मुद्दों पर चर्चा करने के बाद मैं निकल पडा, चरखी दादरी जिसके गांव बलाली के महावीर फौगाट से मिलना था। महावीर सिंह पहलवान और उनकी विश्व चैंपियन बेटियां गीता बबीता रितु आदि दिल्ली गयीं हुयीं थीं, लेकिन घर पर बेटा दुश्यंत और उनकी पत्नि मिले। खाने की बहुत जिद की लेकिन मैं सिलानी गांव में ही भोजन कर चुका था, इसलियै कॉफी बना लायी। दुश्यंत की मां घरेलू जिम्मेदारियों में काफी व्यस्त रहीं इसलिये बेटे से ही बातें अधिक हुईं। महावीर के आलीशान मकान को देखकर लगा कि काफी संपन्न हैं। दुर्भाग्यवश मुझसे वो फोटो डिलीट हो गये जो महावीर सिंह के बेटे, पत्नि एवं भतीजे के साथ लिये थे।
बलाली गांव के बाद विश्व चैंपियन बौक्सर बिजेन्दर सिंह के गांव कालूवास भी पहुंचा जहां उनके माता पिता से काफी देर बात हुयी। इतनी शौहरत और धन प्राप्त करने के बाद भी रोडवेज कर्मचारी पिता के आत्मीय व्यवहार ने ये बतला दिया कि वे जमीं से जुडे इंसान हैं।
भिवानी में मुझे शाम पांच बज चले थे अभी एक दो बौक्सिगं एकेडेमी भी जाना था, करीब दस एकेडेमी है अकेले भिवानी में, जहां चैंपियन बनने के गुरु सिखाये जाते हैं। घूमते घामते रात हो चली थी, अभी पिलानी सौ किमी दूर था अतः रुकना ही बेहतर था। बाजार में ही एक चार मंजिला गुरुद्वारा है जहां बिना किसी दिक्कत के शरण मिल गयी। गुरू के घर में बहुत चैन की रात कटी, सुवह ही मत्था टेक निकल लिया पिलानी की ओर । लोहारु लास्ट गांव है हरियाणे का , इसके बाद राजस्थान का झूंझनू जिला लग जाता है।
जारी है....
यात्रा जारी है ......
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