धूपगढ की ऊंची पहाडी से सांझ के डूबते सूरज की लालिमा को निहारने का दृश्य शायद ही कभी भूल सकें। प्रियदर्शिनी प्वाइंट से सूर्यास्त का दृश्य लुभावन लगता है। तीन पहाड़ी शिखर की बाईं तरफ चौरादेव, बीच में महादेव तथा दाईं ओर धूपगढ़ दिखाई देते हैं। इनमें धूपगढ़ सबसे ऊंची चोटी है। पचमढ़ी से प्रियदर्शिनी प्वाइंट के रास्ते में आपको नागफनी पहाड़ मिलता है जिसका आकार कैक्टस की तरह है और यहां कैक्टस के पौधे बहुतायत में हैं। पचमढ़ी प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से संपन्न क्षेत्र है। सतपुडा के घने जंगल जहां है कुदरत की वह जीवंतता, जो हर मौसम के साथ इठलाती है, उल्लास भरी अंगडाईयां लेती है और आमंत्रण देती है आपको अपनी मनोरम दृश्यावली से सजी हुई गलियों में विचरने का। जीवंतता से भरे हुए इन विशाल जंगलों के बीच ही है सतपुडा की रानी। जंगलों के बीच खोजी गई पचमढी को प्राकृतिक सुन्दरता और झरनों के उन्मुक्त प्रवाह के कारण नाम दिया गया प्रकृति की अल्हड संतान का। कहते हैं कि सतपुडा के जंगल और पहाडी वादियां हिमालयी क्षेत्रों से भी 15 करोड साल पुरानी हैं और उसकी लाक्षणिकता से बिल्कुल अलग भी। सतपुडा के जंगल पूरी दुनिया में बाघों का सबसे बडा घर भी है और पचमढी वह जगह है जहां से आप सतपुडा नेशनल पार्क और बोरी सेंचुरी जैसे इन घरों तक आसानी से पहुंच सकते हैं। कान्हा और पेंच जैसे राष्ट्रीय उद्यान भी यहां से ज्यादा दूर नहीं हैं। इसके अलावा यहाँ कैथोलिक चर्च और क्राइस्ट चर्च भी हैं।रजत प्रपात: यह अप्सरा विहार से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 350 फुट की ऊँचाई से गिरता इसका जल इसका जल एकदम दूधिया चाँदी की तरह दिखाई पड़ता है। बी फॉल जमुना प्रपात के नाम से भी जाना जाता है। यह नगर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पिकनिक मनाने के लिए यह एक आदर्श जगह है।
हांडी खोह नामक खाई पचमढ़ी की सबसे गहरी खाई है जो 300 फीट गहरी है। यह घने जंगलों से ढँकी है और यहाँ कल-कल बहते पानी की आवाज सुनना बहुत ही सुकूनदायक लगता है। वनों के घनेपन के कारण जल दिखाई नहीं देता; पौराणिक संदर्भ कहते हैं कि भगवान शिव ने यहाँ एक बड़े राक्षस रूपी सर्प को चट्टान के नीचे दबाकर रखा था। स्थानीय लोग इसे अंधी खोह भी कहते हैं जो अपने नाम को सार्थक करती है; यहाँ बने रेलिंग प्लेटफार्म से घाटी का नजारा बहुत सुंदर दिखता है।
जटाशंकर गुफा एक पवित्र गुफा है जो पचमढ़ी कस्बे से 1.5 किलोमीटर दूरी पर है। यहाँ तक पहुँचने के लिए कुछ दूर तक पैदल चलना पड़ता है। मंदिर में शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बना हुआ है। यहाँ एक ही चट्टान पर बनी हनुमानजी की मूर्ति भी एक मंदिर में स्थित है। पास ही में हार्पर की गुफा भी है।
हांडी खोह, महादेव और गुप्तेश्वर के बाद हम बापस पचमढी लौट आये थे। चौरागढ नहीं जा पाये। अगली ट्रिप में देखेंगे ढंग से। लौटते हुये गोल्फ मैदान और स्पोर्ट्स पौईंट भी हो आये। लेकिन चार्जेज इतने अधिक कि हिम्मत ही नहीं पडी पैराग्राइडिगं करने की। बैसे भी हमारे लौटने का वक्त भी हो चला था।
मेरी पचमढी की एक दिनी यात्रा के बाद वापस पिपरिया स्टेशन से धौलपुर श्री धाम सुपरफास्ट से रवाना हो लिये जिसने हमें सुवह पांच बजे धौलपुर पहुंचा दिया था।
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