स्काउटिंग (Scouting) या बालचरी एक आन्दोलन है जिसमें बच्चों से बड़ो तक के उच्च् कोटि की नैतिकता व योग्यता का विकास किया जाता है। स्काउटिंग आन्दोलन के जनक राबर्ट स्टिफैंस स्मिथ बैडन पावेल थे। भारत स्काउटिंग 1913 में ऐनी बेसेन्ट द्वारा प्रारम्भ करायी थी। अब भारत स्काउट व गाइड संस्था है।युवा लोगो की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास का समर्थन करता है।
धौलपुर से खजुराहो इंटरसिटी से उदयपुर पहुंचने का सोचा था लेकिन गाडी बहुत लेट थी। विलासपुर छत्तीसगढ एक्सप्रैस निकल रही थी कि आगरा तक चढ लिया। आगरा फोर्ट से अहमदाबाद सुपरफास्ट मुझे दस बजे तक आवू रोड पहुंचा सकती थी तो क्यूं न फिर वही पकडी जाय। टिकट तो धौलपुर से ही ले लिया था। किराया दो सौ पांच रुपये। छत्तीसगढ एक्सप्रैस ने मुझे छ बजे ही आगरा छोड दिया था। मुझे आगरा फोर्ट पहुंचना था। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आगरा आगमन की बजह से बहुत तगडा जाम था। जैसे तैसे स्टेशन पहुंच पाया। लेकिन राहत ये रही कि गाडी आगरा से ही थी और चलनी दस बजे थी इस बजह से मुझे आराम से सीट मिल गयी। आगरा अहमदाबाद सुपर फास्ट जयपुर अजमेर व्यावर मारवाड जंक्शन होती हुई लगभग दस बजे आबू रोड पहुंच गयी। आबू रोड स्टेशन से बाहर निकलते ही लस्सी और रबडी की बहुत सारी दुकानें देखीं। पता चला कि इस क्षेत्र में दूध बहुत होता है अत: यहां की रबडी बहुत प्रसिद्ध है। बैसे मुझे रबडी की बजाय लस्सी बहुत प्रिय है। राजस्थान के करीब तीस जिलों की लस्सी पी चुका हूं। जैसलमेर और चित्तौडगढ की लस्सी का कोई मुकाबला ही नहीं है। पता नहीं ऊंटनी का दूध मिलाते हैं क्या। पर बनती बहुत ही लाजवाब है। आबू में मैंने दोनों ही चीज खेंच लीं। यात्रा की थकान मिटाने के लिये लस्सी एक बेहतर उपाय है मेरे लिये। भरी सर्दियों में भी छाछ और लस्सी पीता रहता हूं।
आबू रोड से मांउट आबू पच्चीस किमी ऊपर पहाडों में है। जीप ने पचास रुपये लिये। यहां स्काउट के केन्द्र से एक किमी पर ही छोड दिया। बहां से कैंप तक पैदल चल कर हरे भरे पेडों और पहाडियों का नजारा देखते हुये आगे बढना बडा अच्छा लगता है। कैंप के गेट पर ही तीन चार ट्रेनर्स कुर्सीयां डालकर बैठे थे और आने बाले कैन्डीडेट्स का स्वागत कर रहे थे। रजिस्ट्रेशन के तुरंत बाद कैंप में आकर स्नान किया और खाना भी खा लिया। मैंने तो सोचा था कि पहला दिन है। यात्रा की थकान मिटाने के लिये कुछ समय दिया जायेगा पर ये क्या ! थोडी ही देर बाद असेंबली के लिये हौल में बुला लिया और रात दस बजे तक जम कर रगडा।बहुत ही व्यस्त कार्यक्रम और टाईट प्रशासन। कैंप के मुख्य इंचार्ज श्री रघुवीर सिंह शेखावत 75 वर्षीय एकदम ऊर्जावान युवा हैं। युवा बोलने का कारण है उनकी मेहनत और उनका समर्पण। रात को एक बजे सोने के बाद भी यदि कोई बुजुर्ग सुवह पांच बजे ही ढपली लेकर अपनी टीम के साथ हमारी कोठरी में घुस कर हमारी रजाई फेंकते हुये गाने लग जाय,
" उठ जाग मुसाफिर, भोर भई अब रैन कहां जो सोबत है, जो सोबत है सो खोबत है, जो जागत है सो पावत है। " तो उसे युवक कहना ही ठीक होगा। मात्र आधे घंटे में तो हमें शौचादि से निवृत होकर योग व्यायाम के एलिये हौल में पहुंचना होता था। शेखावत जी हमें बहां पहले से ही मुस्तैद दिखाई पडते। इस उम्र में इतना जोश ! गजब ! उनको देखकर ही हिम्मत आ जाती थी।
योगाभ्यास के बाद तुरंत बाद स्नान, झंडारोहण और नास्ता और फिर एक बजे तक क्लास शुरू। एक घंटे के लंच के बाद शाम छ बजे तक फिर क्लास।सात बजे शाम का भोजन और फिर कैंप फायर। इस प्रकार रात ग्यारह बज जाते थे। मेरे जैसा महाआलसी आदमी भी यदि फुर्तीला हो जाये और पूरे अठारह घंटे सक्रिय रहे तो मैं इसे शेखावत जी का चमत्कार ही कहूंगा।
स्काउटिंग (Scouting) एक आन्दोलन है जिसमें बच्चों से बड़ो तक के उच्च् कोटि की नैतिकता व योग्यता का विकास किया जाता है। स्काउटिंग आन्दोलन के जनक राबर्ट स्टिफैंस स्मिथ बैडन पावेल थे। भारत स्काउट व गाइड संस्था युवा लोगो की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास का समर्थन करता है।
मेरी कोठरी में मेरे अलावा सात और लोग थे जिनमें दो बुजुर्ग और तीन युवा थे बाकी तीन मेरे जैसे फोर्टी प्लस। सभी के सभी एक अलग व्यक्तित्व। किसी के विचार किसी से नहीं मिलते। कई बार तो आपस में लड भी बैठते। खूब नोंक झोंक हो जाती। लेकिन सात दिन बाद जब हमने घर के लिये पृस्थान किया तो प्रत्येक व्यक्ति भावुक होकर आपस में गले लग रहा था। स्काउटिगं कैंप हमें सामुदायिकता सिखाने में सफल रहा था।
पहले दो दिन जब ट्रेनर्स ने हमसे ढेर सारी मेहनत करवायी तो लगा कि कैंप छोडकर भाग जाऊं। कहां फंस गया यार ! मैं तो घुमक्कडी के लिये आया था। मुझे क्या पता था यहां इतनी मेहनत होगी लेकिन तीन दिन बाद जैसे हम उस मेहनत के अभ्यस्त हो गये और फिर ट्रेनर्स की नैतिक बातें भी असर कर रहीं थी। शेखावत जी का ईश्वर में अटूट विश्वास और सभी धर्मों के प्रति बहुत ज्यादा सम्मान उन्हें सच्चा सनातनी सिद्ध करता है। स्काउटिंग में नास्तिक के लिये कोई जगह नहीं है। स्काउटिगं की प्रतिज्ञा ही नास्तिक के लिये अपने द्वार बंद कर देती है।
स्काउट प्रतिज्ञा कहती है,
" मैं मर्यादा पूर्वक प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं यथा शक्ति ईश्वर और अपने देश के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करूँगा। दूसरो की सहायता करूँगा। स्काउट नियम का पालन करूँगा।"
जब मैंने शेखावत सर से कहा कि स्काउट समाज का सेवक होता है और सभी जातियों, धर्मों के लिये और यहां तक कि पशु पक्षियों जीवों तक के लिये मुहब्बत दिखाता है। जब आप इतनी बडी सोच लेकर चल रहे हैं तो फिर नास्तिक से परहेज क्यूं ? वो भी तो इंसान है न ? सेवा और ईश्वर का आपस में क्या संबध ? क्या एक नास्तिक समाज सेवक नहीं हो सकता ?
उनका कहना था कि हम कभी किसी व्यक्ति विशेष या किसी पंथ विशेष को मानने को बाध्य नहीं करते। हम तो बस प्रकृति को मानने को ही कहते हैं। हमारा ईश्वर ये प्रकृति है। ये पेड पौधे पशु पक्षी जीव जंतु ही हमारे ईश्वर हैं। और जब तक हम इनके प्रति पूर्ण समर्पण नहीं दिखायेंगे, हम इनका संरक्षण कर ही नहीं पायेंगे। ये समर्पण तब ही आ सकता है जब हम मान लें कि ये सब ईश्वर का हम सबको दिया हुआ एक अनमोल उपहार है। एक सच्चे सेवक के दिल में ईश्वर का बास होना ही चाहिये। तभी वह अपने दिल में सभी के लिये मुहब्बत ला पायेगा। नास्तिक ऐसा कभी नहीं कर पाता। वह नाराज होता है। ईश्वर से नाराज। समाज से नाराज । खुद से भी नाराज। नकारात्मक व्यक्ति कभी सच्चा सेवक नहीं हो सकता। नास्तिक शब्द की शुरूआत ही जब "ना" से होती है तो वह समाज में आस्था कैसे व्यक्त कर पायेगा ? यदि वह खुद में, समाज में या देश में आस्था व्यक्त करता है तो फिर वो नास्तिक नहीं है, आस्तिक ही है। ऐसा व्यक्ति जिसकी आस्था खुद में है, समाज और देश के प्रति भी है पर वह अपने आप को नास्तिक कहता है तो वह झूठ बोल रहा है। वो और कुछ नहीं बस कुंठित है। उसे मुहब्बत चाहिये। उसे स्काउट में आकर अपनी कुंठा दूर करनी चाहिये।
स्काउट नियम उसे खुद से मुहब्बत करना सिखा देंगे।
१. स्काउट विश्वसनीय होता है.
२.स्काउट वफादार होता है.
३.स्काउट सबका मित्र और प्रत्येक दूसरे स्काउट का भाई होता है.
४.स्काउट विनम्र होता है.
५.स्काउट पशु पक्षियों का मित्र और प्रकृति प्रेमी होता है.
६.स्काउट अनुशासन शील होता है और सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करने में सहायता प्रदान करता है.७.स्काउट साहसी होता है.
८.स्काउट मितव्ययी होता है.
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