Wednesday, March 1, 2017

शनि शिगणापुर से गोवा के लिये रवाना।।

अहमदनगर से गोवा की एक मात्र ट्रैन वही वास्को हमें फिर मिल गयी। इस बार तो जनरल की और हालत खराब थी। पर चितां किसको थी मन की कल्पनाओं में तो मैं गोवा की सुंदरता में खोया हुआ था। जब भी मैं फिल्मों में गोवा के सुदंर समुद्री तटों का नजारा देखता था, मन में समुद्र की सफेद ऊंची ऊंची लहरों में खो जाने का मन करता था।
अहमदनगर से मजबूरी में वास्को एक्सप्रैस में जैसे तैसे धींगा मुश्ती करते यह सोच कर कि आगे जाकर एडजस्ट हो जायेंगे चड तो गये लेकिन एडजस्ट होने में दो घंटे निकल गये । महाराष्ट्र का सतारा के आसपास दक्षिण भारत की प्रमुख नदी कृष्णा नदी के भी दर्शन हो गये। यहीं से निकली है वो नदी जिसमें सतारा के पास ही पांच नदियां आकर संगम करती हैं। थोडा और आगे चले तो कोल्हापुर आ गया जो शायद चप्पलों के लिये फिल्मों में फेमस रहा है। कोल्हापुर से जैसे ही आगे बढे कुछ समय के लिये गाडी कर्नाटक में प्रवेश कर गयी। कर्नाटक में केवल एक स्टोपेज ही है इसका। कर्नाटक आते ही हब्सी भूतों का एक झुंड हुलाला हुलाला करता डिब्बे पर टूट पडा, बिना पूछे धक्का दिया और सीट पर बैठ गये। अभी तक रामायण में दक्षिण के राक्षसों का जिक्र सुना था और उनकी हरकतें भी जानी थीं पर यहां तो साक्षात राक्षसों के दर्शन हो गये। काले काले भूत। जैसे सीधे जंगल से ही चले आ रहे हों।
गोवा से थोडा पहले एक मौडर्न लडके से पता पूछने की कोशिष में तीन प्रश्न क्या कर दिये, खाने को दौड पडा,
" ऐ भाई पहले ही बहुत टैंशन है , मगजमारी मारी मत करो यार। "
अपना मुंह बंद किये मडगांव तक चलता रहा। सुवह छ बजे तक हम मडगांव पहुंच गये। पंजिम की बजाय हमने यहीं रुकना वेहतर समझा। पंजिम में बहुत मंहगाई है। पणजी की अपेक्षा यहां होटल सस्ते मिल जाते हैं। मात्र सौ रूपये पर बैड की भी व्यवस्था है। कमरा पांच छ सौ में मिल जाता है। स्टेशन से होटल तक ले जाने के लिये मोटरसाइकिल बाले, टैम्पो आदि उपलब्ध हैं। शहर घूमने के लिये भी मात्र चार सौ रुपये में वाईक किराये पर मिल जाती है।
मडगांव स्टेशन पर जाकर एक वैंडर से पूछा ,
होटल कौनसी साईड से मिलेंगे भईयाजी, लैफ्ट या राईट?
पहले टाल गया, फिर पूछा, फिर पूछा, तो मुंह खोला और बोला तो क्या बोला,
ऐ भाई पहले ही बहुत टैंशन है , मगजमारी मारी मत करो यार। आगे बढ कर एक यूपी बाले भैया ने समझाया तब काम बना। बाहर निकले तो देखो कुछ वाईकर्स पंक्तिवद्ध खडे हैं सवारी के इंतजार में। भाडे पर वाईक ड्राईवर पहली बार देखे थे मैंने। हमने उन वाईकर्स से ही होटल छोडने को बोल दिया। मात्र छ सौ रुम लिया और दो वाईक किराये पर लीं। और चल दिये चालीस किमी दूर गोवा की राजधानी पणजी या पंजिम की तरफ। खूवसूरत शहर, प्राक्रतिक सौदंर्य , पुर्तगाली सभ्यता और चर्च मन को मोह लेते हैं। करीब आधे घंटे तक खूबसूरत सडक पर चलने के बाद हम पणजी नदी के किनारे खडे होकर पणजी जाने का सोर्टकट रास्ता पूछने को एक भाई को पूछने लगे,
भईया जी, सामने पणजी है, कोई सोर्टकट रास्ता है ?
"हां है ना, वैरी सिंपल।" चेहरे पर मासूमियत और गंभीरता लिये सूखे से मुंह से बोला,
जानकर खुशी हुयी कि कौई तो प्यार से बोला।
" एक काम करो, गाडी का बूं बूं बूं बूं करके ऐक्सीलिरेटर घुमाओ और इस नदी को जंम्प करा दो, बस इससे ज्यादा शौर्टकट कोई हो ही नहीं सकता। "
अचानक चेहरे पर गुस्सा का भाव लाते हुये बोल पडा, और फिर बडबडाते हुये चल पडा
"जाने कहां कहां से आ जाते हैं सोर्टकट बाले ?"
जब से महाराष्ट्र कोकण क्षेत्र में घुसा था कोई सीधे मुंह बात ही नही कर रहा था। अब तक कम से कम बीस जने ऐसे ही जिदंगी से परेशान दुरात्माओं से पाला पड चुका था। खैर जैसे तैसे बार बार पूछते गाली सी खाते पणजी बीच पहुंच गये।
गोवा की राजधानी पणजी छोटा शहर  जरूर है लेकिन बेहद खूबसूरत शहर है। चांदी-सी चमकती धाराओं वाली मांडवी नदी के किनारे यह शहर स्थित है। यहां के लाल छतों वाले मकान, खूबसूरत बगीचे, कलात्मक पाषाण प्रतिमाएं, खूबसूरत गुलमोहर और अन्य हरे-भरे वृक्षों की छाया में हर कोई वहां की खूबसूरती में खो-सा जाता है। इसके अलावा मारगाओ, वास्को डिगामा तथा मार्मुगाओ हार्बर जैसे शहरों में घूम कर लुत्फ उठाया जा सकता है।
गोवा एक छोटा-सा राज्य है जहां छोटे-बड़े लगभग 40 समुद्री तट है। गोवा शांतिप्रिय पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को बहुत भाता है। समुद्र तटों के कारण गोवा का विश्व में अलग पहचान है। गोवा नदी और समुद्र का अद्भुत संगम है। नारियल के पेड़ और समुद्र के पानी पर पड़ने वाले सूर्य की रोशनी के मनमोहक नजारे गोवा के खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं।

पूरा शहर घूमने के बाद शाम को बीच beach पर पहुंचे जिसे देखकर लगा जैसे जनरल के डिब्बे में एक पैर की खडेश्वरी तपस्या से अल्लाहताला खुश हो गये हैं और हमें 72 हूरों के पास जन्नत में भेज दिया हो। खैर हूरों को निहारने का अपना कोई इरादा न था, हम तो तीन दोस्त लहरों में कूद पडे । नहाने का साबुन नहीं था, कोई बात नहीं, प्रक्रति के पास सबकुछ है। समुद्री रेत किसी सैम्पू से ज्यादा बढिया थी और फिर रेत में लोट पोट होने का आनंद ही अलग था। पूरे दो घंटे मस्ती किये हम वहां। हम तो रेत में लोटापीटी करने में मस्त थे और कुछ फौरिनर पेयर्स जल क्रीडा में।
इसके अलावा वोट के द्वारा पैराग्लाइडिगं भी करायी जाती है वो भी बडा रोमांचक था।
प्राकर्तिक सोंदर्य से से भरपूर स्थल goa अपने समुद्री तटों की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्द है । कर्नाटक व महाराष्ट्र से घिरे गोवा के पश्चिम में लहलहाता अरब सागर है । यहाँ की राजधानी पणजी है जो की एक साफ सुथरा शहर है ।
वैसे तो पूरा साल गोवा जाने के लिए उपयुक्त है किंतु अक्तूबर से मई तक का समय गोवा जाने के लिए सबसे सही रहता है । और दिसम्बर में तो गोवा जाने का अलग ही मजा है क्योंकि क्रिसमस और नया साल यहाँ बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है नया साल मानाने के लिए यहाँ जगह जगह से लोग आते हैं इसीलिए इस समय यहाँ की रोनक देखते ही बनती है ।
इतिहास में महाभारत गोवा का उल्लेख गोपराष्ट्र के नाम से मिलाता है माना जाता है कि इस स्थान की रचना परुशराम ने की थी ।
इस स्थान का नाम गोवा पुर्तगालियों ने रखा था पुर्तगालियों ने यहाँ लगभग ४०० साल तक राज किया इस बीच यहाँ अंग्रेजों व मराठों का राज भी रहा । 1961 में गोवा पुर्तगाली शासन से आजाद होकर भारत का हिस्सा बन गया । इतने समय तक पुर्तगाल का शासन रहने के कारण आज भी पुराने गोवा के घरों की बनावट में पुर्तगालियों की छाप नजर आती है । पाव या ब्रैड बनाने बाले वेकर या पैडर आज भी अपना पुस्तैनी व्यवसाय करते हुये देखे जा सकते हैं। यह एक बहुत ही साफ सुथरा राज्य है यहाँ सड़कें सुंदर वृक्षोंसे सजी हैं । गोवा की प्रमुख भाषा कोंकणी और मराठी है लेकिन पूरे गोवा में हिन्दी बोली व समझी जाती है । दर्शनीय स्थलों के लिहाज से गोवा 2 भागों में बंटा हुआ है । उत्तरी गोवा और दक्षिणी गोवा । उत्तरी गोवा में मायेम झील, वागाटोर बीच, अंजुना बीच, कलंगूट बीच तथा फोर्ट अगोडा आदि हैं और दक्षिणी गोवा में पणजी, डोना पाऊला बीच, पुराने गोवा के बाम जीसस तथा सी केथेड्रल चर्च आदि हैं ।।
घूमते घूमते भूख लग आयी थी शाम भी हो चली थी निकल पडे रोटी की तलाश में पर कहीं गेहूं की रोटी नहीं मिले , बडापाव इडली डोसे ने भी मूड खराब कर रखा था, रैस्ट्रॉं में पहुंच कर एक एक इडली मगांई , वो पट्ठा दो रख गया, भाई एक ही चाहिये, दो नहीं, एक वापस ले जाओ। वो पट्ठा गुस्से में बडबडाता दोनों वापस ले गया,
भाई क्या हुआ ? यार एक तो दे ?
पहले टाल गया, फिर पूछा, फिर पूछा, तो मुंह खोला और बोला तो क्या बोला,
ऐ भाई पहले ही बहुत टैंशन है , मगजमारी मारी मत करो यार। लेना है तो दो लो वरना खाली पीली टाईमखोटी नको।
दो दिन तक लगातार सुपर टैंशनफुल लोगों के बीच रहते रहते मैं भी कपडे फाडने की स्थिति में आ पहुंचा था।
जाने के टाईम पर मालेगांव स्टेशन पर नईदिल्ली से आयी गाडी से उतरे एक नौजवान ने मुझसे पूछा,
भईयाजी ये होटल कौनसी साईड मिलेगा, लैफ्ट या राईट?
मैं पहले तो टाल गया, उसने फिर पूछा, फिर पूछा,
मैं भी बाल नौचते बोल पडा,
ऐ भाई पहले ही बहुत टैंशन है , मगजमारी मारी मत करो यार।

जारी ...... 

No comments:

Post a Comment