Friday, July 7, 2017

आसाम मेघालय यात्रा : गुवाहाटी शहर की शाम।

दिन तो पूरा औटो से गुवाहाटी घूमने में ही व्यतीत हो गया था। स्कूटी रैंट पर मिली थी तब तक शाम हो चली थी।सूरज डूबने ही वाला था। ऐसे में शिलांग बाले रोड पर निकलना ठीक न था। चेरापूंजी करीब दो सौ किमी दूर था। रास्ता भी पूरा पहाडी जंगल युक्त और स्थल भी विश्व का सर्वाधिक वर्षा बाला , सुवह निकलना ही ठीक रहेगा, सोच कर गीता मंदिर श्याम मंदिर होते हुये ब्रम्हपुत्र नदी की ओर चल दिये। शाम को सूरज डूबते हुये हो तो ब्रम्हपुत्र नदी का सौंदर्य और बढ जाता है। नदी के किनारे और भी बहुत सारे धार्मिक एवं प्राकृतिक स्थल हैं जहां शाम के समय घूमा फिरा जा सकता है।
 ब्रम्हपुत्र नदी खुद ही अपने आप में एक आकर्षण है।यह तिब्बत, भारत तथा बांग्लादेश से होकर बहती है। ब्रह्मपुत्र का उद्गम तिब्बत के दक्षिण में मानसरोवर के निकट चेमायुंग दुंग नामक हिमवाह से हुआ है। इसकी लंबाई लगभग 2700 किलोमीटर है। इसका नाम तिब्बत में सांपो, अरुणाचल में डिहं तथा असम में ब्रह्मपुत्र है। यह नदी बांग्लादेश की सीमा में जमुना के नाम से दक्षिण में बहती हुई गंगा की मूल शाखा पद्मा के साथ मिलकर बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। सुवनश्री, तिस्ता, तोर्सा, लोहित, बराक आदि ब्रह्मपुत्र की उपनदियां हैं। ब्रह्मपुत्र के किनारे स्थित शहरों में प्रमुक हैं डिब्रूगढ़, तेजपुर एंव गुवाहाटी। प्रायः भारतीय नदियों के नाम स्त्रीलिंग में होते हैं पर ब्रह्मपुत्र एक अपवाद है। संस्कृत में ब्रह्मपुत्र का शाब्दिक अर्थ ब्रह्मा का पुत्र होता है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सबसे लम्बे नदी पुल का उद्घाटन किया है। पुल ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर स्थित धोला को उत्तरी तट पर स्थित सादिया से जोड़ेगा।
गुवाहाटी असम का महत्त्वपूर्ण व्यापार केंद्र तथा बंदरगाह है। पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार गुवाहाटी आसपास के क्षेत्र की व्यवसायिक गतिविधियों का केन्द्र है। इसे विश्व का सबसे बड़ा चाय का बाज़ार माना जाता है। यहाँ एक तेलशोधन संयंत्र और सरकारी कृषि क्षेत्र है तथा उद्योगों में चाय तथा कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण, अनाज पिसाई तथा साबुन बनाना हैं। लगभग 17 प्रतिशत आबादी उद्योग, व्यापार तथा वाणिज्य में लगी हुई है तथा उद्योगों पर राजस्थान से आए मारवाड़ियों का एकाधिकार है।गुवाहाटी की आबादी मिलीजुली है, जिसमें असमी, बंगाली, पंजाबी, बिहारी, नेपाली, राजस्थानी तथा बांग्लादेशी शामिल हैं। इसके अलावा यहाँ सारे पूर्वोत्तर भारत के आदिवासी समुदायों के लोग भी बसते हैं। यहाँ गुवाहाटी विश्वविद्यालय (स्थापना 1948), अर्ल लॉ कॉलेज, राज्य उच्च न्यायालय तथा अनेक हिन्दू मुस्लिम बौद्ध धार्मिक स्थल भी हैं।

सत्य की खोज

असम पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा प्रदेश है I महाभारत में असम का उल्लेख प्रागज्योतिषपुर के रूप में मिलता है। कालिका पुराण में भी कामरूप – प्रागज्योतिषपुर का वर्णन है। इसकी राजधानी दिसपुर, गुवाहाटी है I गुवाहाटी पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा शहर है I असम का क्षेत्रफल 78,438.00 वर्गकिलोमीटर तथा कुल जनसंख्या 31,169,272 है जिनमे पुरुषों की संख्या 15,954,927 एवं महिला 15,214,345 हैं I जनसंख्या का घनत्व ( प्रति वर्गकिलोमीटर ) 397 है I लिंग अनुपात ( प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या ) 954 और साक्षरता 73.18 प्रतिशत है I असम के प्रमुख शहर गुवाहाटी, डिब्रूगढ़, डिगबोई, तिनसुकिया, तेजपुर, सिलचर, ग्वालपाडा, जोरहाट, धुबरी, नगांव, बोंगाईगांव है I असमिया असम की प्रमुख भाषा है । यहां बांग्ला और हिंदी भी बोली जाती है । इनके अतिरिक्त राज्य की अन्य भाषाएं हैं-बोड़ो, कार्बी, मिसिंग, राभा, मीरी आदि । कार्बी (मिकिर), बोड़ो कछारी, दिमासा कछारी, सोनोवाल कछारी, बर्मन कछारी, देवरी, मीरी (मिशिंग), तिवा इत्यादि असम की प्रमुख जनजातियाँ हैं। मेरे फेसबुक मित्र, पूर्वोत्तर राज्यों के विशेषज्ञ श्री वीरेन्द्र परमार जी ने पूर्वोत्तर संस्कृति के बारे में काफी गहरी जानकारी दी है। उनके अनुसार असम की तिवा (लालुंग) जनजाति समुदाय के लोग मुख्यतः असम के नगांव एवं कार्बी ओंगलोंग जिले में रहते हैं I इनके कुछ गाँव धेमाजी, लखीमपुर, जोरहाट और सोनापुर में भी बसे हैं I मेघालय के जयंतिया हिल्स में भी कुछ तिवा लोग निवास करते हैं I तिवा जनजाति वृहत बोडो समूह का ही एक अंग है I बोडो कछारी, सुतिया, देवरी, राभा, मेच, तिप्परा, गारो इत्यादि जनजाति भी वृहत बोडो समूह के अंग हैं I लालुंग समुदाय के लोग स्वयं को तिवा कहना पसंद करते हैं I तिवा और लालुंग शब्द की व्युत्पत्ति के संबंध में विद्वानों ने अलग – अलग मत व्यक्त किए हैं I लालुंग भाषा के अनुसार ति का शाब्दिक अर्थ जल और वा का अर्थ श्रेष्ठ है I देशांतरगमन के बाद इस समुदाय के लोगों ने ब्रह्मपुत्र घाटी को अपना निवास बनाया I ब्रह्मपुत्र इस क्षेत्र की जीवनदायिनी नदी है एवं यह श्रेष्ठतासूचक भी है I ब्रह्मपुत्र घाटी में निवास बनाने के कारण ही संभवतः इन्हें तिवा कहा गया I कुछ विद्वानों ने तिवा शब्द की भिन्न व्याख्या प्रस्तुत की है I इनके अनुसार तिवा शब्द तिब्बतिया से निष्पन्न हुआ है I ऐसा माना जाता है कि इस समुदाय के लोग तिब्बत से देशांतरित होकर भारत आए I इन्हें स्थानीय निवासियों ने तिब्बतिया कहा जो कालांतर में टूटकर तिवा हो गया I कार्बी जनजाति के लोगों ने इस समुदाय को लालुंग की संज्ञा दी जो ब्रह्मपुत्र नद के दक्षिणी तट पर रहते थे I लालुंग शब्द की व्याख्या करते हुए कुछ विद्वानों ने मत व्यक्त किया है कि ब्रह्मपुत्र नदी ने लालुंग समुदाय के लोगों को सर्वप्रथम शरण दी I ला का अर्थ है जल एवं लुंग का अर्थ है उद्धार करना, मुक्त करना अथवा रक्षा करना I इस प्रकार लालुंग का अर्थ हुआ उद्धार करनेवाला अथवा रक्षा करनेवाला जल अर्थात ब्रह्मपुत्र नदी I इस समुदाय की उत्पत्ति के संबंध में एक मिथक बहुत लोकप्रिय है I इस मिथक के अनुसार भगवान शिव ने एक ईश्वर का सृजन किया जिसका नाम लुंगता महादेव रखा I भगवान लुंगता और जयंती देवी (माता दुर्गा ) के संयोग से तीन पुत्रियाँ उत्पन्न हुईं I बड़ी पुत्री से कार्बी का जन्म हुआ, दूसरी से बोडो कछारी का जन्म हुआ और तीसरी से लालुंग की उत्पत्ति हुई I एक दूसरे मिथक के अनुसार एक बार भगवान महादेव चावल निर्मित मदिरा का अत्यधिक मात्रा में पान करने के कारण मदोन्मत्त हो गए I अचेतन अवस्था में उनके मुख से लार (लाल) की धारा बहने लगी I भगवान ने उस लार से दो मानव उत्पन्न किए और उन्हें लालुंग कहा I लुंग का अर्थ भगवान शिव से उत्पन्न होनेवाली धारा है और ला का अर्थ उस धारा से सृजित प्राणी है I
ब्रम्हपुत्र नदी के सहारे सहारे चलते चलते गुवाहाटी में प्रवेश कर गये। कभी कुंगफू कराटे सीखते बच्चे मिले तो कभी बाहुबली देखकर आते युवक युवतियां। घुमक्कडी के दौरान बाइक से घूमने का फायदा ये ही होता है कि आप जगह जगह रुककर क्षेत्रीय लोगों से बात कर वहां की जानकारी जुटा सकते हैं। दस बीस रुपये खर्च कीजिये किसी भी छोटे से दुकानदार के पास और बतियाना शुरू कर दीजिये। बहुत कुछ जानकारी दे जायेगा। 
घूमते घूमते रात हो चली थी। हमें अभी पलटन बाजार स्थित अपने रूम पर लौटना था। होटल के सामने ही AITC की पार्किंग थी जहां हम अपनी स्कूटी खडी कर रुम पर चले गये। अगली सुवह जल्दी ही हमें शिलांग चेरापूंजी के लिये निकलना था। 



















2 comments:

  1. असम यात्रा में बाइक न रही तो स्कूटी ही सही, मतलब तो घूमने से है।

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  2. बढ़िया विस्तृत जानकारी गुवाहाटी शहर की

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