हनुमानगढी में घूमने फिरने के बाद नीचे आकर चोखा बाटी का नाश्ता किया। बहुत ही स्वादिस्ट अल्पाहार। अभी कनक भवन, दशरथ भवन और जैनों के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेव जी की जन्मस्थली भी देखनी थी हमें। हनुमान गढ़ी के निकट स्थित कनक भवन भी अयोध्या का बहुत महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर सीता और राम के सोने के मुकुट पहने प्रतिमाओं के लिए लोकप्रिय है। इसी कारण इस मंदिर को सोने का घर भी कहा जाता है। यह मंदिर टीकमगढ़ की रानी ने 1891 में बनवाया था। मुख्य मंदिर आतंरिक क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें रामजी का भव्य मंदिर स्थित है। यहां भगवान राम और उनके तीन भाइयों के साथ देवी सीता की सुंदर मूर्तियां स्थापित हैं। अयोध्या जैन मंदिरों के लिए भी खासा लोकप्रिय है। अयोध्या को पांच जैन र्तीथकरों की जन्मभूमि भी कहा जाता है। जहां जिस र्तीथकर का जन्म हुआ था, वहीं उस र्तीथकर का मंदिर बना हुआ है। इन मंदिरों को फैजाबाद के नवाब के खजांची केसरी सिंह ने बनवाया था। बाइक की बजह से सभी पवित्र स्थल हमने शाम तीन बजे तक कर डाले और हम निकल पडे गोरखपुर की ओर।
राजो अब तक मेरी घुमक्कडी का विरोध ही करती रही थी। उसके लिये मकान गाडी रुपया पैसा ही जिंदगी था। पहली बार मेरे साथ निकली थी यह सोच कर कि ये मुझसे दूर जाकर न जाने कितने आराम से रहते होंगे। इस यात्रा में पता चला कि घुमक्कडी शारीरिक सुख के लिये नहीं मानसिक सुख शांति के लिये की जाती है। लेकिन राजो खुश थी, भले घर जैसा आराम न था लेकिन प्रसन्न थी और उसकी खुशी का कारण था उसकी आजादी। ना कोई समाज की बंदिस और न कोई नियम कानून की बाध्यता। पहली बार तो निकली थी बेचारी घुमक्कडी पर। मथुरा के जाट किसान की कम पढी लिखी देहाती लडकी जिसकी नसों में धार्मिक कर्मकांड और सामाजिक आदर्शवाद कूट कूट कर भर दिये गये थे, आज पहली वार आजादी की सांस ले रही थी और वह आज वो कर रही थी जो उसका दिल चाहता था।
मेरी घुमक्कडी के फोटोज देखकर मैंने आज तक अनगिनत महिलाओं को यह कहते हुये सुना है," काश मैं भी लडका होती " मेरा उनसे भी यही कहना है कि समाज और धर्म की बंदिसों में घुट घुट जीने की बजाय तो घुमक्कड धर्म ही अपना लिया जाय। विश्व के सारे धर्मों से यही सबसे श्रेष्ठ धर्म है। पूर्ण आजादी। न घर की चिंता न बच्चों की। न खाने की न पीने । प्रकृति ने सबकुछ दे रखा है। घुमक्कड धर्म मनुष्य द्वारा निर्मित अन्य बनावटी धर्मों जैसा नहीं है जिसमें स्त्री को कैद में रखना ही शान समझा जाता है। घुमक्कड धर्म में स्त्रियां भी उतना ही अधिकार रखती हैं जितना पुरूष। महात्मा बुद्ध ने नारी को इस कैद से मुक्त करा कर घुमक्कड धर्म में लाने का भरषक प्रयास भी किया था। घुमक्कड कभी संकुचित बात नहीं करता। किसी को बंदिसों में बांधने या गुलाम बनाने का प्रयास नहीं करता। गुरूनानक हों या कबीर , मीरा हों या रैदास , घूमते घूमते ही मोक्ष को प्राप्त हो गये।
मुझे आज भी याद है शादी के कुछ साल बाद डरते डरते राजो ने मुझसे पूछा था कि क्या मैं घर में सलवार सूट पहन सकती हूं ? क्या रात में मैक्सी पहन सकती हूं ? मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ था। जाटों की लडकियां निर्भीक और बहादुर तो होती हैं लेकिन समाज और धर्म की इतनी बेडियों में जकडी होती है कि बहुतों को तो जिंदगीभर खुली हवा में सांस लेना नसीब नहीं होता। मैंने उसी दिन उसको आजादी का मूल मंत्र दे दिया था और साथ ही ये भी कह दिया था जो भी दिल करे वो करो और अगर किसी कार्य को दिल न गवारा करे भले कोई कहता रहे बिल्कुल न करना। सबसे पहले अपने दिल की सुनो बाद में किसी और की। इस बार उसने पहली बार घूमने की इच्छा जतायी थी और यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई कि वह अब अपने दिल की सुनने लगी है।
सुहागरात को हम दोनों ने एक दूसरे से वायदा किया था कि हम दोनों एक दूसरे से कभी झूठ न बोलेंगे। चाहे कितना ही कडवा सच हो , छुपायेंगे नहीं। इसी क्रम में उसने मेरे सच का इम्तिहान लेते हुये पूछ डाला कि क्या आपने कभी किसी से प्यार किया था ? मैंने भी बिना किसी भय या संकोच के उसे अपनी प्रेम कहानी सुना डाली थी। यह मेरा पहला सच था। हालांकि मैंने उससे यह प्रश्न कभी नहीं किया और अगर उसने जीवन में किसी से प्रेम या विवाहपूर्व सेक्स किया होता तब भी मुझे उससे कोई नाराजगी न होती। यदि मैं नाराजगी या नाखुशी व्यक्त करता तो मैं भी बंदिसों बाले धर्म का ही एक खडूस पति साबित हो जाता। मैं जन्मजात घुमक्कड धर्मी हूं जिसमें तुच्छ विचारों के लिये कोई स्थान नहीं है। गुलामी के लिये कोई जगह नहीं है। आजादी घुमक्कड का पहला उद्देश्य है हम इसे पाकर ही रहेंगे।
बढ़िया ! अब आप सपत्नीक घुमक्कड़ हो गए है ।बढ़िया यात्रा विवरण ।
ReplyDeleteWow
ReplyDeleteयह लेख पाठकों को घुमक्कड़ी का सोपान कराती हैं। शानदार।
ReplyDeleteशानदार।
ReplyDeleteशानदार यात्रा
ReplyDeleteजय श्री राम
आजादी घुमक्कड का पहला उद्देश्य है हम इसे पाकर ही रहेंगे।
ReplyDeleteबिल्कुल सही फ़रमाया आपने। सुन्दर वृत्तांत।
शानदार यात्रा व शानदार घुमक्कडी
ReplyDeleteआभार आप लोगों का
ReplyDeleteघुमक्कडी से आज़ादी की यात्रा का बढ़िया विवरण
ReplyDeleteजोरदार भाषण घुमक्कड़ी पर लेकिन आनन्द आ गया । सचमुच अगर आपकी बातों में सच्चाई है तो सेल्यूट आपको 👏
ReplyDeleteBabut acha lga apko post pdhkar chahar ji....aise hi likhte rahiye..shubhkamnay
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