Saturday, October 1, 2016

ऊटी की यात्रा

"ऊटी ऊटी प्यार की बोटी""
ऋषि कपूर की फिल्म " कर्ज " के गाने " दर्दे दिल दर्दे जिगर ...... आशिक बनाया आपने " के अतं में टीना मुनीम एवं अन्य लडकियों के झील में गिरने बाले द्रश्य ने इतना रोमांचित किया था कि उसी दिन ऊटी जाने की ठान लिया था।
धौलपुर से पकडी हिमसागर एक्सप्रैस ने मुझे
कोयंबटूर (दक्षिण भारत का मैनचेस्टर) छोड दिया था। चूंकि मुझे टाय ट्रैन से ही ऊटी जाना था अत: मुझे मेट्टुपालयम पहुंचना पडा जो बहां से 38 किमी की दूरी पर है।
मेट्टुपालयम, नीलगिरी पैसेंजर (एनएमआर) का रेलवे जंक्शन है और यात्रीगण यहां से ब्रॉड गेज रेलवे के लिए बदल सकते हैं। नीलगिरी एक्सप्रेस (ब्लू माउंटेन एक्सप्रेस) मेट्टुपालयम को कोयम्बटूर के माध्यम से राज्य की राजधानी चेन्नई से जोड़ती है। यह अपनी ऊटी ट्रेन "नीलगिरी पैसेंजर" के लिए प्रसिद्ध है जो कि एशिया की एकमात्र रैक एंड पिनियन रेलवे है।
मेट्टुपालयम, नीलगिरी पहाड़ियों को जाने वाली दो घाट सड़कों के लिए शुरुआती स्थान के रूप में कार्य करता है।
ऐसे तो ऊटी के लिये वाहनों की खूव सुविधा है पर
वनाच्छादित पर्वतों के मनोरम दृश्य को देखने के लिए आप मेट्टुपालयम से ऊटी की टाय ट्रेन यात्रा ही करें। नैरो गेज की यह पहाड़ी ट्रेन मेट्टुपालयम के मैदानी इलाकों से शुरू होकर जंगलों, चाय के बागानों, 16 सुरंगों, तथा 250 से अधिक पुलों के रास्ते 46 किलोमीटर का सफर तय करती है। इसके चलने की गति तो काफी कम है (यात्रा में साढ़े चार से पांच घंटे लगते हैं) लेकिन पहाड़ों तथा मैदानी इलाकों के विलक्षण दृश्य इसकी पूर्णतया भरपाई कर देते हैं। मेट्टुपालयम की ट्रेन यात्रा पर्यटकों के लिए सबसे मनोरंजक और यादगार लम्हों में से एक है। भाप इंजन वाली इस ट्रेन को ब्रिटिश काल में बनाया गया।
छुक छुक करती धुआं उडाती नीले नीले पहाडों में चडती जाती खिलौना गाडी ने मुझे आखिरकार उसी झील के पास पहुंचा ही दिया। स्टेशन के नजदीक ही मात्र तीन सौ रुपये में एक कमरा मिल गया।
सबसे पहले बाजार घूमते हुये वौटौनिकल गार्डन पहुंचा। 22 हेक्टेयर में फैले इस खूबसूरत बाग में दो करोड बर्ष पुराने एक पेड़ के जीवाश्म संभाल कर रखे गए हैं।
उसके बाद शाम को झील पहुंचा जहां बतख पैडल वोटिगं का आनंद लिया। ऊटी झील का निर्माण यहां के पहले कलक्टर जॉन सुविलिअन ने 1825 में करवाया था। यह झील 2.5 किमी. लंबी है।
दस किमी दूर पर्वतीय डोडाबेट्टा चोटी जिले की सबसे ऊंची चोटी मानी जाती है। जहां से आसपास का मनोरम द्रश्य देखा जा सकता है।
यदि आप शेर चीतों आदि जानवरों से हाथ मिलाने एवं प्यार मुहब्बत की बात करने के इच्छुक हों तो नजदीक ही मदुमलाई वन्यजीव अभ्यारण्य जरूर जायें और कलहट्टी जलप्रपात झरना( 100 फीट ऊंचा ) का आनंद भी जरूर लें।

21 comments:

  1. सत्य का सफ़र यूहिं चलता रहे बहुत शुभकामनायें 👌💐🙏

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद नरेश भाई। अभी तो सीख रहा हूं। दो चार दिन में आ जायेगा ।

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    2. बहुत बहुत धन्यवाद नरेश भाई। अभी तो सीख रहा हूं। दो चार दिन में आ जायेगा ।

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  2. वाह गुरुदेव, सत्य का सफर 👍👍👌👌

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  3. अगला भाग कब भैया।

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    1. अभी अभी लिखा है। शुक्रिया

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    2. अभी अभी लिखा है। शुक्रिया

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  4. सुंदर यात्रा व्रतांत

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  5. बढ़िया लिखा है सत्यपाल जी। अच्छा लगा पढ़ कर 👌

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  6. बहुत अच्छे सर सुन्दर

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  7. बहुत अच्छे सर सुन्दर

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