Tuesday, January 15, 2019

South India Tour : महाबलीपुरम से पॉंडिचेरी।

South India Tour : महाबलीपुरम से पॉंडिचेरी। 
चेन्नई और महाबलीपुरम में जहां धमाचौकड़ी करते पर्यटकों की भीड है वहीं पॉंडिचेरी में आध्यात्मिक सुकून की तलाश में निकले धर्मार्थियों की कतार है। दिन डूबने से पहले ही हम पॉंडिचेरी शहर पहुंच चुके थे। शहर पूरा 90 डिग्री पर काटती सडकों से बना है मानो कोई शतरंज की चौपाल हो। गली गिनकर हम निर्धारित स्थान पर पहुंच सकते हैं। हमारा सबसे पहले काम था रूम लेना। पोमेनैंट बीच के करीब एक से एक मंहगे होटल हैं, ज्यादातर विदेशी रुकते हैं तो कोई भी रुम तीन हजार से कम नहीं हैं, इसलिए हम थोडा आगे बढ गये शहर की तरफ जहां हमें मात्र 800 रुपये में रुम मिल गया। 25 दिसंबर की रात को पॉंडिचेरी में इतने कम में कमरा मिलना संयोग ही था। थोडी देर फ्रैस होने के बाद हम स्कूटी लेकर बढ लिए बीच की तरफ। पांडिचेरी की सबसे बड़ी खासियत यहां के समुद्र तट हैं। यहां मुख्य तौर पर चार ‘बीच’ है- प्रोमिनेंट बीच, पेराडाइस बीच, अरोविले बीच, सैरीनिटी बीच। इनमें से प्रोमिनेंट बीच शहर के मुख्य भाग में स्थित है। हालांकि यह एक चट्टान युक्त समुद्री तट है मगर इसके सहारे सहारे शानदार रोड और उसके बगल बालुका फुटपाथ तैयार किया हुआ है। सडक के साइड से लगे हुये पंक्तिबद्ध हरे भरे पेडों की कतार बीच की सुंदरता में चार चाँद लगाते नजर आते हैं। यही बीच है जहां देर रात तक लोगों का मेला लगा रहता है। सडक के एक तरफ बडे बडे सुंदर भवन हैं तो दूसरी तरफ उफान मारती लहरों का सैलाब। क्रिसमस की रात में उस सडक पर घूमना तो जैसे हमारे लिए किसी सौभाग्य से कम न था।
पॉंडिचेरी फ्रांसीसी उपनिवेशीय प्रांत था जो आजाद होने के बाद भी उस अहसास को याद रखे है। पॉंडिचेरी के किसी भी मूल निवासी को फ्रांस में बीजा की आवश्यकता नहीं होती। भारत में ही फ्रांस की अनुभूति लेने के लिये पॉंडिचेरी उपयुक्त जगह है। ये शहर आज भी फ्रांस का चोला ओढ़े है। आपको यहां अधिकतर लोग बड़ी आसानी से फ्रेंच में बात करते मिल जाएंगे और तो और सड़क पर लगे साइन बोर्ड में तमिल, अंग्रेजी के साथ-साथ फ्रेंच भी चमकती दिखेगी। पांडिचेरी के रेस्ट्रों में आपको बिना किसी दिक्कत के फ्रेंच फूड खाने को मिल जाएगा लेकिन हम तो अपने साथ घर का भोजन लेकर चले थे। कृष्णा ने ढेर सारे डोसा, इडली और बडे पैक कर दिये थे। समुद्र तट पर एकांत स्थल देखकर बैठ गये भोजन करने। ऐसे मस्त माहौल में शायद ही हमने कभी भोजन किया हो। भोजन के बाद तट के सहारे सहारे काफी देर चहलकदमी करने के बाद निकल पडे कमरे की ओर, नींद जो आने लगी थी। रास्ते में देखा कि पॉंडिचेरी शहर जगमगाहट बिखरे है। चर्चेज सजे हैं। चूंकि यहां ईसाई लोग बहुतायत में हैं, बाजार भरे पडे हैं। शहर भर में ढेर सारे चर्च हैं। पांडिचेरी में 32 चर्च हैं जिनमें लेडी ऐंज्लस चर्च, स्केड हॉट चर्च, डूप्लेक्स चर्च, बेस्लिका ऑफ़ स्केर्ड हॉट ऑफ़ जिजस जैसे चर्चेज़ का नाम बड़े व पुराने चर्चेज़ में गिना जाता है। इनकी सुदंरता आपका मन मोह लेगी। और जब बात क्रिसमस की रात की हो तो आप अनुमान लगा सकते हैं कि कितनी चमकदार रात होगी। मगर दिन भर की थकान से नींद प्रबल होती जा रही थी और हम बिना रुके सीधे कमरे पर जाकर बैड पर पड गये।


रात भर गहरी नींद लेने के बाद मैं जल्दी उठ बैठा क्यूं कि मुझे समुद्र तट पर सन राईजिंग को वीडियो में कैद करना था। 6:27 पर सूर्य निकलना था, हम छ बजे ही बीच पर पहुंच गये। सुबह भी मौर्निंग वाक करने वाले काफी लोग थे। सुबह सुबह समुद्र तट पर टहलना भी अपने आप में एक अलग ही आनंद देता है। इसके अलावा आप योगा, मेडिटेशन और समुद्र किनारे बैठ कर अपने जीवन का मतलब भी तलाश सकते हैं। सूर्य की किरणें दिखाई दीं और समुद्र चमक उठा। समुद्र में से बाहर आता लाल रंग का सूर्य आपको एक अलग सुकून देता है। सूर्योदय के इस पल को पांडिचेरी में रह कर गवांना नहीं सकते थे। हमने ढेर सारी फोटोग्राफी करी। मन भर गया तो नजदीक ही गणेश मंदिर के लिए रवाना हो गये। गणेश मंदिर बहुत ही भव्य और खूबसूरत है। मंदिर के नजदीक ही है अरविंदो आश्रम। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारी से लेकर एक संत तक की उनकी यात्रा एक कौतूहल पैदा करती है। श्री अरबिंदो ने 1926 में अरबिंदो आश्रम की स्थापना इस दौड़-भाग की जिंदगी से दूर अध्यात्म शक्ति को बढ़ाने के लिए की थी। विश्व भर से लोग यहां अध्यात्म की तलाश में आते हैं। मंदिर में गणेश जी को नमन करने के बाद हम आश्रम पहुंचे। अंदर फोटो की मनाही थी। बोलना भी मना था। अंदर बहुत सारे लोग थे मगर सभी एकदम शांत। शांति से बैठकर ध्यान कर रहे थे। साथ ही एक लाइब्रेरी भी है जहां आप उनकी लिखी पुस्तकों का भंडार देख पढ और खरीद सकते हैं। पॉंडिचेरी शहर से आठ किमी दूर औरिविले नामक एक दर्शनीय स्थल और है। मदर मीरा अल्फासा ने 1968 में श्री अरबिंदो के लिए स्पिरिचुअल कौलॉर्बेट का निर्माण किया था। उनका एकमात्र लक्ष्य था कि विश्व भर के लोग यहां आ कर शांति पा सकें। यहां पर कई प्रकार की वर्कशाप हैं, साथ ही यहां अलग-अलग तरह की थैरपी दी जाती है जो लोगों को शांति की ओर ले जाती है।
पॉंडिचेरी के बाद मेरा विचार वैल्लोर और कांचीपुरम के मंदिर घूमते हुये चेन्नई पहुंचने का था मगर थकान की बजह से सुहानी ने आगे जाने से मना कर दिया। बैसे भी उसकी इच्छा समुद्र पेड पौधों और हरियाली में स्वतंत्र विचरण करने की थी, मंदिरों में उसे आनंद नहीं आता था। इसलिए हम आगे बढने की बजाय बापस चेन्नई की ओर बढ लिए। रास्ते में ही अच्छा सा रेष्टरां देखकर साऊथ इंडियन भोजन भी कर लिया। समुद्र के किनारे होने के कारण यहां सीफूड की भरमार है। यहां के पारंपरिक दक्षिण भारतीय भोजन इडली-डोसे का स्वाद आपको लंबे समय तक याद रहेगा। और तो और आपको यहां के रेस्ट्रोरेंट्स में आसानी से फ्रेंच फूड मिल जाएगा। पॉंडिचेरी में हर तरफ नेचुरल आनंद है। यदि आपको लगे कि समुद्र के किनारे बैठ कर कुछ नहीं होने वाला, तो चुनांबर बोट हाऊस जा कर स्पीड और रेगुलर बोट ले कर समुद्र की हवा खाने पैराडाइस बीच की राइड पर निकल पडें। इसके अलावा ऑस्डयू झील पांडिचेरी से कुछ किलोमीटर दूर है। आप यहां बोट किराये पर ले कर इस झील में पक्षियों के साथ अपना समय बिता सकते हैं।यह झील उन पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग है जो प्रवासी पक्षियों को देखना चाहते हैं।
पॉंडिचेरी एक केन्द्र शासित प्रदेश है, जो चार टुकडों में विभाजित है। कराईकल जो तमिलनाडु से घिरा है जबकि यानम बंगाल की खाड़ी में (आन्ध्र प्रदेश) और माहे (केरल) अरब सागर में है। पुदुच्चेरी और कराइकल इनमे से सबसे बड़े जिले हैं। तमिल, तेलुगु, मलयालम और फ्रांसीसी यहाँ की आधिकारिक भाषाएँ हैं। जीवन की भागदौड़ से थक चुके लोग जो शांति व आध्यात्म की तलाश में हैं, उनके लिए पुदुचेरी बिल्कुल सही जगह है। प्राचीन काल से ही पुदुचेरी वैदिक संस्कृति का केंद्र रहा है। यह महान ऋषि अगस्त्य की भूमि है।





























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