Chennai ; A magical city
अंडमान एक्सप्रेस से करीब 40 घंटे की यात्रा के बाद हम चेन्नई सेंट्रल पहुंच गये। किराया 720 रु प्रति व्यक्ति। हम तीनों की पीठ पर एक एक बैग था। आराम से लोकल ट्रेन पकड कर कृष्णा के घर पहुंच सकते थे। अभी शाम के तीन बजे थे, सोचा कि पहले मरीना बीच चलें। एक तो मरीना बीच और सेंट जार्ज फोर्ट, चेन्नई सेंट्रल के नजदीक भी है , दूसरे सुहानी समुंदर देखने को बाबडी हुयी जा रही थी, जीवन में पहली बार समुद्र देख रही थी, लेकिन लाख मना करने के बावजूद कृष्णा और उसके पतिदेव राजू शर्मा जी स्टेशन हमें लेने आ पहुंचे। कृष्णा मेरी जन्म स्थल गांव की बेटी है और बचपन से राखी बांधती आयी है। पिछले 15 साल से बुला रही थी, जैसे ही पता चला कि भैया भाभी के साथ सुहानी भी आ रही है, भावुक हो बैठी, इंतजार करने लगी, बच्चों को भी इंतज़ार था। फौन पर खैर कुशल लेती रही। इसी बीच मैंने उसे मना भी किया कि बिल्कुल भी परेशान न हो और न राजू जी को करे, हम खुद पहुंच जायेंगे, मगर वो नहीं मानी। आ धमकी स्टेशन। लेकर घर गयी सीधे। घर पहुंचते, नहा धोते, खाते पीते इतनी देर हो गयी कि मरीना बीच पर पहुंचते पहुंचते रात हो गयी।
हमारे घुमक्कड़ी गैंग में जवानों की टोली के साथ साथ बुजुर्ग भी हैं। ऐसे ही एक अनुभवी जोशीले बुजुर्ग के बारे में आपको बताऊंगा तो आप आश्चर्य करेंगे। चेन्नई के शंकर सर, सत्तर साल के जोशीले बुजुर्ग, अपना झोला उठाये कहीं भी चल देते हैं। भारत का तो कोई कोना नहीं छोडा। पहाडों की खाक छान रखी है। काश्मीर लद्दाख से कन्याकुमारी तक। इसके अलावा श्रीलंका, भूटान, नेपाल और मालदीव भी नहीं छोडे। यात्रा अभी भी अनवरत जारी है। संयोग से चेन्नई में ही थे। मेरी इनसे मिलने की ख्वाईश बहुत साल से थी। मरीना बीच की ओर बढते हुये इनसे फौन पर बात हुई, मरीना बीच पर ही मिलना तय हुआ। एक घंटे की बस यात्रा करके चेन्नई के मरीना बीच हमसे पहले पहुंच गये, वहीं पर मेरा इंतजार करने लगे। मैं परिवार के साथ था। पूछताछ में थोडा कनफ्यूजन हुआ और हम सैंट जार्ज फोर्ट पहुंच गये। इंतजार करते आधा घंटा हो गया तो फौन लगाया। लोकेशन भेजी, हमने तुरंत बापसी की ट्रेन पकडी। फिर गलती हो गयी। एक स्टेशन पहले ही उतर गये। फिर बात हुई, जब निर्धारित स्टेशन पर पहुंचे तो शंकर सर इंतजार करते मिले। रात हो रही थी, उन्हें बहुत दूर जाना था, मेरे लिये साठ सत्तर किमी चल कर आये थे, दो घंटे अकेले बीच पर बैठे इंतजार किया तब मुलाकात हुई। ज्यादा समय साथ नहीं बिता पाये हम लेकिन इसी प्रक्रिया में अपने छोटों के लिए उनका प्रेम और उनकी विनम्रता जरूर झलक गयी। ऐसे होते हैं घुमक्कडों के रिश्ते। सगों से भी ज्यादा आत्मीयता से भरे, हमारी घुमक्कड़ी दुनियां में सब कुछ है, मौज मस्ती, जीवन का उल्लास, सुख दुख बांटने को परिवार और जीवन का सार समझने को जीवन दर्शन। शंकर सर को विदा करने के बाद हम उतर गये, मरीना बीच की बालू पर। रात के अंधेरे में सिर्फ सफेद झाग दिखाई दे रहे थे या फिर किनारों से टकराती लहरों का शोर सुनाई पड रहा था, लहरें दिखाई नहीं दे रहीं थीं। मरीना बीच एक खूबसूरत प्राकृतिक शहरी समुद्री तट है। जिसका कुछ हिस्सा बंगाल की खाड़ी से भी मिलता है। यह समुद्री तट उत्तर में फोर्ट सेंट जॉर्ज से शुरू होकर दक्षिण में फॉरेसहोर एस्टेट में खत्म होता है, जिसकी लंबाई लगभग 6 किमी की है। इस समुद्र तट की गिनती विश्व के चुनिंदा सबसे लंबे प्राकृतिक तटों में होती है। यहां का समुद्री तट मुख्य तौर पर बलूआ है जो मुंबई के जुहू समुद्री तट को बनाने वाली छोटी, चट्टानी संरचनाओं के विपरीत है। इस बीच की चौड़ाई लगभग 300 मीटर की है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस समुद्री तट पर नहाना और तैरना पूर्ण रूप से वर्जित है। सैंट जार्ज फोर्ट के पास स्टेशन से उतरने पर जयललिता की समाधि स्थल से लेकर गांधी स्टैच्यू तक आप पैदल चलने का साहस जुटा पाये, निसंदेह मरीना बीच की समस्त खूबसूरती को आत्मसात कर पायेंगे। लेकिन हम शंकर से मिलने के लिए तिरुवेल्लीकेनी स्टेशन उतरे जो बीच से सटा हुआ है। चप्पल हाथों में लिये समुद्र तट की ओर बढे, दूर झिलममिल करती मद्धम रोशनी में समुद्र तट पर खडी कुछ नावें और उनकी ओटक में एक दूसरे से चिपके प्रेमी युगल दिखाई दिये। इस बेरहम दुनियां में प्रेमियों को बैसे ही कोई चैन नहीं लेने देता, तो हम क्यूं उन्हें डिस्टर्व करें, बस कुछ ऐसा ही सोच कर हम और आगे बढ लिए। थोडी देर चलने के बाद एकांत मिला, तो पसर गये, उफान मारती लहरों में जीवन दर्शन ढूंड ही रहा था कि सुहानी और कृष्णा का बेटा लहरों में कूदते नजर आये। लहरें अपने प्रचंड रूप में आ रही थी, जैसे जैसे रात गहराती है, समुद्र खतरनाक होता जाता है, लहरों का शोर शरीर में एक सिहरन सी पैदा कर देता है। दर असल
अंडमान एक्सप्रेस से करीब 40 घंटे की यात्रा के बाद हम चेन्नई सेंट्रल पहुंच गये। किराया 720 रु प्रति व्यक्ति। हम तीनों की पीठ पर एक एक बैग था। आराम से लोकल ट्रेन पकड कर कृष्णा के घर पहुंच सकते थे। अभी शाम के तीन बजे थे, सोचा कि पहले मरीना बीच चलें। एक तो मरीना बीच और सेंट जार्ज फोर्ट, चेन्नई सेंट्रल के नजदीक भी है , दूसरे सुहानी समुंदर देखने को बाबडी हुयी जा रही थी, जीवन में पहली बार समुद्र देख रही थी, लेकिन लाख मना करने के बावजूद कृष्णा और उसके पतिदेव राजू शर्मा जी स्टेशन हमें लेने आ पहुंचे। कृष्णा मेरी जन्म स्थल गांव की बेटी है और बचपन से राखी बांधती आयी है। पिछले 15 साल से बुला रही थी, जैसे ही पता चला कि भैया भाभी के साथ सुहानी भी आ रही है, भावुक हो बैठी, इंतजार करने लगी, बच्चों को भी इंतज़ार था। फौन पर खैर कुशल लेती रही। इसी बीच मैंने उसे मना भी किया कि बिल्कुल भी परेशान न हो और न राजू जी को करे, हम खुद पहुंच जायेंगे, मगर वो नहीं मानी। आ धमकी स्टेशन। लेकर घर गयी सीधे। घर पहुंचते, नहा धोते, खाते पीते इतनी देर हो गयी कि मरीना बीच पर पहुंचते पहुंचते रात हो गयी।
हमारे घुमक्कड़ी गैंग में जवानों की टोली के साथ साथ बुजुर्ग भी हैं। ऐसे ही एक अनुभवी जोशीले बुजुर्ग के बारे में आपको बताऊंगा तो आप आश्चर्य करेंगे। चेन्नई के शंकर सर, सत्तर साल के जोशीले बुजुर्ग, अपना झोला उठाये कहीं भी चल देते हैं। भारत का तो कोई कोना नहीं छोडा। पहाडों की खाक छान रखी है। काश्मीर लद्दाख से कन्याकुमारी तक। इसके अलावा श्रीलंका, भूटान, नेपाल और मालदीव भी नहीं छोडे। यात्रा अभी भी अनवरत जारी है। संयोग से चेन्नई में ही थे। मेरी इनसे मिलने की ख्वाईश बहुत साल से थी। मरीना बीच की ओर बढते हुये इनसे फौन पर बात हुई, मरीना बीच पर ही मिलना तय हुआ। एक घंटे की बस यात्रा करके चेन्नई के मरीना बीच हमसे पहले पहुंच गये, वहीं पर मेरा इंतजार करने लगे। मैं परिवार के साथ था। पूछताछ में थोडा कनफ्यूजन हुआ और हम सैंट जार्ज फोर्ट पहुंच गये। इंतजार करते आधा घंटा हो गया तो फौन लगाया। लोकेशन भेजी, हमने तुरंत बापसी की ट्रेन पकडी। फिर गलती हो गयी। एक स्टेशन पहले ही उतर गये। फिर बात हुई, जब निर्धारित स्टेशन पर पहुंचे तो शंकर सर इंतजार करते मिले। रात हो रही थी, उन्हें बहुत दूर जाना था, मेरे लिये साठ सत्तर किमी चल कर आये थे, दो घंटे अकेले बीच पर बैठे इंतजार किया तब मुलाकात हुई। ज्यादा समय साथ नहीं बिता पाये हम लेकिन इसी प्रक्रिया में अपने छोटों के लिए उनका प्रेम और उनकी विनम्रता जरूर झलक गयी। ऐसे होते हैं घुमक्कडों के रिश्ते। सगों से भी ज्यादा आत्मीयता से भरे, हमारी घुमक्कड़ी दुनियां में सब कुछ है, मौज मस्ती, जीवन का उल्लास, सुख दुख बांटने को परिवार और जीवन का सार समझने को जीवन दर्शन। शंकर सर को विदा करने के बाद हम उतर गये, मरीना बीच की बालू पर। रात के अंधेरे में सिर्फ सफेद झाग दिखाई दे रहे थे या फिर किनारों से टकराती लहरों का शोर सुनाई पड रहा था, लहरें दिखाई नहीं दे रहीं थीं। मरीना बीच एक खूबसूरत प्राकृतिक शहरी समुद्री तट है। जिसका कुछ हिस्सा बंगाल की खाड़ी से भी मिलता है। यह समुद्री तट उत्तर में फोर्ट सेंट जॉर्ज से शुरू होकर दक्षिण में फॉरेसहोर एस्टेट में खत्म होता है, जिसकी लंबाई लगभग 6 किमी की है। इस समुद्र तट की गिनती विश्व के चुनिंदा सबसे लंबे प्राकृतिक तटों में होती है। यहां का समुद्री तट मुख्य तौर पर बलूआ है जो मुंबई के जुहू समुद्री तट को बनाने वाली छोटी, चट्टानी संरचनाओं के विपरीत है। इस बीच की चौड़ाई लगभग 300 मीटर की है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस समुद्री तट पर नहाना और तैरना पूर्ण रूप से वर्जित है। सैंट जार्ज फोर्ट के पास स्टेशन से उतरने पर जयललिता की समाधि स्थल से लेकर गांधी स्टैच्यू तक आप पैदल चलने का साहस जुटा पाये, निसंदेह मरीना बीच की समस्त खूबसूरती को आत्मसात कर पायेंगे। लेकिन हम शंकर से मिलने के लिए तिरुवेल्लीकेनी स्टेशन उतरे जो बीच से सटा हुआ है। चप्पल हाथों में लिये समुद्र तट की ओर बढे, दूर झिलममिल करती मद्धम रोशनी में समुद्र तट पर खडी कुछ नावें और उनकी ओटक में एक दूसरे से चिपके प्रेमी युगल दिखाई दिये। इस बेरहम दुनियां में प्रेमियों को बैसे ही कोई चैन नहीं लेने देता, तो हम क्यूं उन्हें डिस्टर्व करें, बस कुछ ऐसा ही सोच कर हम और आगे बढ लिए। थोडी देर चलने के बाद एकांत मिला, तो पसर गये, उफान मारती लहरों में जीवन दर्शन ढूंड ही रहा था कि सुहानी और कृष्णा का बेटा लहरों में कूदते नजर आये। लहरें अपने प्रचंड रूप में आ रही थी, जैसे जैसे रात गहराती है, समुद्र खतरनाक होता जाता है, लहरों का शोर शरीर में एक सिहरन सी पैदा कर देता है। दर असल
मरीना का बीच समुद्र तट पर समतल नहीं है, लहरों ने रेत की ऊंची दीवार खडी कर दी है, यहां नहाना खतरनाक हो सकता था इसलिये दोनों बच्चों को हाथ पकड मैं उसकी भयाभयता से परिचित कराने हाथ पकड अंदर खींच ले गया, तेज शोर करती लहरों ने हमें उठाकर बापस रेत पर फैंक दिया मानो वो रात में खुद को डिस्टर्व करने से नाराज हुआ हो। परिवार के लिए ज्यादा देर रात तक एकांत बीच पर रुकना ठीक नहीं लगा तो हम बापस सडक की ओर चल दिये। बीच के सहारे सहारे मुख्य सडक पर दूर तलक शहर दौडता नजर आता है, तो साथ ही बने फुटपाथ पर जीवन में सुकून ढूंडते पैदल यात्री भी दिखते हैं। फुटपाथ पर बनी छोटी छोटी दुकानों पर बच्चों की मस्ती जारी रहती है। एक दुकान पर रुके, केले की भज्जी खायी, तो बच्चों ने निशानेबाज़ी का आनंद लिया।
रात के दस बज चले थे। 24 दिसंवर की रात चर्चों को दुल्हन की सजाया जाता है, बच्चों का प्रिय सैंटा क्लाज टौफियां और चाकलेट बांटते हुये आता है और बच्चों को मदमस्त कर जाता है। मद्रास अंग्रेजी सत्ता की राजधानी रही है, लार्ड क्लाईव जैसे बहुत सारे जनरल मद्रास की सहायता से हिंदुस्तान पर काबिज होने में सफल रहे। बहुत सारे चर्च और स्कूल बनाकर ईसाई पंथ का विस्तार किया। आज उसका प्रभाव देखने की बारी थी। पैदल पैदल ही सैंट थामस चर्च की तरफ हम बढ चले। मरीना बीच से दो किमी दूर सैंट थामस चर्च बहुत खूबसूरत और भव्य है। संथोम कैथोड्रल बेसीलिका संथोम कैथोड्रल एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। सेन्ट थॉमस फिलिस्तीन से भारत 52 ई. में आए थे और 26 वर्ष बाद उनकी मृत्यु हो गई। सेंट थॉमस माउंट, वह स्थल जहां माना जाता है कि ईसा मसीह के एक शिष्य सेंट थॉमस शहीद हो गए, भारतीय ईसाईयों के लिए महत्वपूर्ण एक तीर्थ स्थल है। सैन्थोम महागिरजाघर, जो अनुमानत: सेंट थॉमस के कब्र के ऊपर बनाया गया था, रोम के कैथोलिकों द्वारा पूजनीय चर्च है।
हम लोग चर्च में प्रवेश किये तो तेज रोशनी में नहाते सफेद भव्य भवन और वहां लगे सुसज्जित पंडाल को देखकर कृष्णा थोडी हिचकिचायी कि कहीं हम कोई गुस्ताखी तो नहीं कर रहे, ईसाईयों के धर्मस्थल में प्रवेश करके, लेकिन उन्हें मैंने समझाया कि ईसाई आज विश्व में सबसे ज्यादा हैं, उसका कारण भी यही है कि इनके यहां ज्यादा रोकटोक या टर्म कंडीसन नहीं है, जो भी आये, स्वागत है, गुरुद्वारे की तरह। हां मस्जिद होती तो मुझे भी ऐसी ही हिचक लगती मगर गुरुद्वारे एंव चर्च में तो बेधडक जाता हूँ।
चेन्नई ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा स्थापित प्रथम बंदोबस्त का शहर था। भारत के चारों मैट्रो शहरों में से एक यह शहर सबसे छोटा ज़रूर है लेकिन पर्यटन के लिहाज़ से किसी से कम नहीं है। चेन्नई में अनेक ऐसे दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। अनेक मंदिर, क़िले, चर्च, पार्क, बीच, मस्जिद इस शहर की ख़ूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं।सेंट जॉर्ज का प्रधान गिरजाघर प्रोटेस्टैंट ईसाइयों के लिए एक महत्वपूर्ण पूजा स्थल है। हजार बत्तियों वाला मस्जिद देश के सबसे बड़े मस्जिदों में से एक है और मुसलमानों का एक पवित्र स्थल है।
चर्च से पैदल चल कर ही मयलापुर स्टेशन से हमें घर के लिए ट्रैन पकडनी थी। मयलापुर का कपालीश्वर मंदिर भी बहुत फेमस है। लेकिन रात बहुत हो चली थी, घर भी पहुंचना था, बच्चे पैदल चल चल कर थक चुके थे और फिर अगली सुबह तडके ही हमें महाबलीपुरम भी तो निकलना था, इसलिए ट्रेन पकडी और सीधे घर।
Dholpur to Chennai Yatra; Click HERE
रात के दस बज चले थे। 24 दिसंवर की रात चर्चों को दुल्हन की सजाया जाता है, बच्चों का प्रिय सैंटा क्लाज टौफियां और चाकलेट बांटते हुये आता है और बच्चों को मदमस्त कर जाता है। मद्रास अंग्रेजी सत्ता की राजधानी रही है, लार्ड क्लाईव जैसे बहुत सारे जनरल मद्रास की सहायता से हिंदुस्तान पर काबिज होने में सफल रहे। बहुत सारे चर्च और स्कूल बनाकर ईसाई पंथ का विस्तार किया। आज उसका प्रभाव देखने की बारी थी। पैदल पैदल ही सैंट थामस चर्च की तरफ हम बढ चले। मरीना बीच से दो किमी दूर सैंट थामस चर्च बहुत खूबसूरत और भव्य है। संथोम कैथोड्रल बेसीलिका संथोम कैथोड्रल एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। सेन्ट थॉमस फिलिस्तीन से भारत 52 ई. में आए थे और 26 वर्ष बाद उनकी मृत्यु हो गई। सेंट थॉमस माउंट, वह स्थल जहां माना जाता है कि ईसा मसीह के एक शिष्य सेंट थॉमस शहीद हो गए, भारतीय ईसाईयों के लिए महत्वपूर्ण एक तीर्थ स्थल है। सैन्थोम महागिरजाघर, जो अनुमानत: सेंट थॉमस के कब्र के ऊपर बनाया गया था, रोम के कैथोलिकों द्वारा पूजनीय चर्च है।
हम लोग चर्च में प्रवेश किये तो तेज रोशनी में नहाते सफेद भव्य भवन और वहां लगे सुसज्जित पंडाल को देखकर कृष्णा थोडी हिचकिचायी कि कहीं हम कोई गुस्ताखी तो नहीं कर रहे, ईसाईयों के धर्मस्थल में प्रवेश करके, लेकिन उन्हें मैंने समझाया कि ईसाई आज विश्व में सबसे ज्यादा हैं, उसका कारण भी यही है कि इनके यहां ज्यादा रोकटोक या टर्म कंडीसन नहीं है, जो भी आये, स्वागत है, गुरुद्वारे की तरह। हां मस्जिद होती तो मुझे भी ऐसी ही हिचक लगती मगर गुरुद्वारे एंव चर्च में तो बेधडक जाता हूँ।
चेन्नई ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा स्थापित प्रथम बंदोबस्त का शहर था। भारत के चारों मैट्रो शहरों में से एक यह शहर सबसे छोटा ज़रूर है लेकिन पर्यटन के लिहाज़ से किसी से कम नहीं है। चेन्नई में अनेक ऐसे दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। अनेक मंदिर, क़िले, चर्च, पार्क, बीच, मस्जिद इस शहर की ख़ूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं।सेंट जॉर्ज का प्रधान गिरजाघर प्रोटेस्टैंट ईसाइयों के लिए एक महत्वपूर्ण पूजा स्थल है। हजार बत्तियों वाला मस्जिद देश के सबसे बड़े मस्जिदों में से एक है और मुसलमानों का एक पवित्र स्थल है।
चर्च से पैदल चल कर ही मयलापुर स्टेशन से हमें घर के लिए ट्रैन पकडनी थी। मयलापुर का कपालीश्वर मंदिर भी बहुत फेमस है। लेकिन रात बहुत हो चली थी, घर भी पहुंचना था, बच्चे पैदल चल चल कर थक चुके थे और फिर अगली सुबह तडके ही हमें महाबलीपुरम भी तो निकलना था, इसलिए ट्रेन पकडी और सीधे घर।
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shankar sir
at marina beach satyapalchahar.blogspot.com
गुरुदेव लिंक में गडबडी है। ठीक करिये
ReplyDeleteWah yaar , man Gaye bahut hi achcha likha likha hai aapake , pad kar esa lagata hai ki jaise mai khud hi yatra kar raha hu, Sach bahut hi sajub chitran Kiya hai aapane.
ReplyDeleteचित्र विवरण बहुत ही शानदार
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