Wednesday, June 28, 2017

आसाम मेघालय यात्रा : बालाजी मंदिर गुवाहाटी

कामाख्या मंदिर और उमानंद टापू घूमने में ही शाम हो गयी और गुवाहाटी स्टेशन से सटे पलटन बाजार में ही हमने रूम ले लिया। पलटन बाजार काफी महत्वपूर्ण मार्केट है। जरूरत की हर चीज यहां मिल जाती है। शिलांग और चेरापूंजी के लिये बस और टैक्सी भी यहीं से जाती हैं। सामने ही बस स्टैंड है जहां क्लौक रुम में आप अपना सामान जमा कर घूम सकते हैं। बगल में ही एक बडी पार्किगं हैं। होटल और लौज भी बहुत सारे हैं। शाकाहारी एवं मांसाहारी भोजनालय भी बहुत हैं। शाकाहारी थाली पचास रुपये की है जिसमें चावल रहता है। रोटियां अलग से लेनी पडती हैं। शाम को तो हम हारे थके सो गये लेकिन सुवह जल्दी ही हमने गुवाहाटी दर्शन के लिये एक औटो कर लिया। हजार रुपये में मुख्य मुख्य पांच स्थल तय कर लिये हमने जिसमें बालाजी मंदिर वशिष्ठ मंदिर भीमेश्वर गुफा नवग्रह मंदिर शंकरदेव कला क्षेत्र के बाद  चिडियाघर छोड देना था। 
बेहद खूबसूरत और अपनी एक अलग संस्कृति लिए हुए पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार गुवाहाटी असम का सबसे बड़ा शहर है। ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे पर स्थित यह शहर प्राकृतिक सुंदरता से ओत-प्रोत है। यहां न सिर्फ राज्य, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र की विविधता साफ तौर पर देखी जा सकती है। संस्कृति, व्यवसाय और धार्मिक गतिविधियों का केन्द्र होने के कारण आप यहां विभिन्न नस्लों, धर्म और क्षेत्र के लोगों को एक साथ रहते देख सकते हैं।
सबसे पहले हम पहुंचे अंतर्राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित बालाजी मंदिर जिसे हम पूर्वोत्तर के तिरूपति भी कह सकते हैं। हाईवे पर लोखरा बेटिकुचि नामक स्थान पर एक बडा सा एकदम सफेद दरवाजा और उसके अंदर विशाल मंदिर परिसर दिखाई देता है। औटो बाला हमें गेट पर ही छोडकर पार्किगं की तरफ चला गया ताकि हम गेट पर स्थित गणेश जी के दर्शन कर सकें। प्रवेश द्वार के बगल ही एक छोटा सा मंदिर है गणेश जी का। अंदर फोटो एलाउड नहीं है बाहर से खींच सकते हैं। गणेश जी के दर्शन के बाद रोड पर अदंर की तरफ आगे बढते हैं। एकदम साफ सुथरा और हरियाली युक्त रोड । रोड के दोनों ओर लगे सुंदर हरे भरे पेड पोधे। हरियाली के बीच दूध जैसी सफेद चमकती मंदिरों की पंक्तियां। सबसे पहले आता है पदमावती मंदिर। पदमावती भगवान बैंकटेश/ विष्णु की पत्नी लक्षामी हैं। बैंकटेश कोई और नहीं बल्कि कृष्ण ही हैं। दक्षिण में इन्हें बैंकटेश के नाम से पूजा जाता है। पुनर्जन्म के किस्से कहानियां तो मान्यतायें बनवा देती हैं। बाकी ये सच है कि कृष्ण भगवान ने श्री राम से ज्यादा ख्याति पायी है। दक्षिण में बैंकटेश के रूप में , पूरब में जगन्नाथ के रुप में और पश्चिम में द्वारकाधीश के रूप में। पंडितों ने भले ही उन्हें अवतारवाद में लपेट लिया हो पर उन्हौने खुद को परमब्रम्ह ही कहा है। अहम ब्रम्हास्मि। हर जीव में हर मनुष्य में प्रकृति के हर तत्व में मैं ही मैं हूं। देव और दानव सब मुझमें ही समाये हुये हैं। 
पदमावती मंदिर , गरुड मंदिर , दुर्गा मंदिर हों या गोपाला बैंकटेश्वर भगवान का मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला गजब की है। सभी मंदिरों के बाहर सुंदर हरा भरा पार्क मंदिरों की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। मुख्य मंदिर बालाजी का है जिसमें चार टनी एक ही पत्थर की मूर्ति स्थापित है। मंदिर में राजगोपुरम, महामंडपम, एक अर्दमंडपम भी दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित है। गोपुरम की ऊंचाई गणेश मंदिर में आठ फुट तो राजगोपुरम की सत्तर फीट है। 
तिरुपति बालाजी की तरह यहां भी प्रसाद के रूप में लड्डू मिलते हैं। 
दो एकड भूमि पर फैले इस मंदिर परिसर का साफ सुथरा वातावरण, उत्कृष्ट स्थापत्य शैली और सुंदर पार्क देखने योग्य है। नारियल और अशोक के पेड दोपहर में भी आराम प्रदान करते हैं तो तरह तरह के रंग बिरंगे फूल मंदिर को और सुंदर बना देते हैं। मंदिर के पीछे पहाडियों की कतार परिदृश्य को खूबसूरत बनाती है। मुख्य प्रवेश द्वार और मंदिर के बीच एक साठ फुट ऊंचा ध्वज स्तंभ भी है जो एक साल पेड के तने से निर्मित है। मंदिर मुख्यतया बालाजी अर्थात बैंकटेश्वर भगवान को समर्पित है जिसकी चार टन के एक ही पत्थर से प्रतिमा बनायी गयी है। बालाजी की मूर्ति जो चार भुजाओं बाली है जिसमें शंख चक्र आदि शिशोभित हैं का मुस्कुराता हुआ चेहरा भगवान की आभा बिखेरता हुआ प्रतीत होता है। इन्ही मंदिरों के बगल ही एक सुंदर यज्ञशाला भी है। इसके साथ ही नाट्यशाला भी है। हमें तो दिनभर में पूरा गोवाहाटी घूमना था इसलिये एक घंटे रुक कर ही नजदीकी भीमेश्वर महादेव की तरफ निकल लिये लेकिन औटो चालक ने बताया कि इस मंदिर का रात्रिकालीन दृश्य भी बहुत खूबसूरत होता है। पूरा मंदिर दूधिया रोशनी में नहा जाता है। इस परिसर में औडिटोरियम भी देखने लायक है। दिन और रात्रि दोनों में ही भव्य होता है। 
हमारे आज के गुवाहाटी दर्शन का पहला स्थल ही मन को प्रशन्न कर गया। ना कोई भीड ना कोई अन्य कर्मकांड बाली धक्कामुक्की । एकदम शांत और सुंदर माहौल। भगवान के दर्शन लाभ हुये। मन खुश हुआ। और हम चल दिये पहाडों की तरफ जहां प्राकृतिक रुप से झरते हुये जल ने शिवजी का निर्माण कर दिया था। बैसे भी पहाडों में तो अपनी जान बसती है।















satyapalchahar.blogspot.in

7 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को पढ़कर मुझे इसी महीने की गयी अपनी तिरुपति बालजी यात्रा याद आ गयी, वैसे ही लड्डू, वैसे ही मंदिर। सुन्दर विवरण और सुन्दर चित्र

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  2. सुंदर मन्दिर बना है। जय गोविंदा। बढिया यात्रा

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  3. मैं भी बालाजी मंदिर गया हूँ भीड़ के मामले में गुवाहाटी का बालाजी मंदिर तिरूपति के बालाजी मंदिर का एकदम विपरीत है जहां तिरूपति में बहुत ज्यादा भीड़ रहती है दर्शन में कई घंटे का समय लगता है जबकि गुवाहाटी में एकदम शांति पूर्वक दर्शन होते हैं

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  4. आज का दिन गुवाहाटी के मंदिरो के नाम...बढ़िया पोस्ट

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  5. राजस्थान में दो बालाजी व तिरुपति बालाजी के तो दर्शन भी हो चुके है।
    इसकी जानकारी आपसे मिली,
    गुरुदेव, लेखन में कुछ ढील कर रहे हो। या जानबूझकर गलतियां छोड रहे हो।

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  6. थोड़ा विस्तार से ओर बताने की कोशिश कीजिये

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